बेशक April 07, 2022 बेशक बहुत गर्म होता है सूरज पर उसका होना होता है बहुत ज़रूरी सर्वत्र अंधेरा हो जाता है रवि बिन, पिता बिना हर इच्छा अधूरी बाजार का हर खिलौना अपना है गर पिता का सर पर है साया वो दिखाता नही कुछ,पर करता है बहुत कुछ पितृऋण से नही कोई मुक्त हो पाया Read more