*जब संवाद खत्म हो जाता है फिर संबध पड़ा सुस्ताता है क्या रखा है नाराजगी में मुझे तो ये समय व्यर्थ करना ही समझ में आता है कुछ बात है मन में तो कह दो हो सकता है हल आस पास ही हो हमारे बिन कहे कुछ समझ नहीं आता है आहटें जिंदगी की चौखट पर दस्तक देती रहें तो अच्छा है वरना बीता लम्हा पल भर में इतिहास बन जाता है जब हो आहट कहीं से कोई झट से खोल दो दरवाजे दिल के जाने कब*है* था में बदल जाता है बहुत छोटी है जिंदगी गिले शिकवे नराजगियों के लिए ये इंसा को देर से समझ क्यों आता है मित्र,रिश्ते,परिवार सब संजीवनी बूटी हैं हमारे लिए, हमेशा ही कोई हनुमान इसे नहीं लाता है खामोशी से बहुत अच्छे हैं लड़ते झगड़ते नाते, कम से कम सुलह की संभावना तो लाता है मतभेद भले ही हो जाए,मनभेद ना हो,मेरी छोटी सी समझ को इतना ही समझ में आता है कभी कभी नहीं अक्सर मेरे दिल में ख्याल आता है जिंदगी में मुख्य गौण और गौण मुख्य क्यों बन जाता है*