बुलंदियां October 24, 2020 जैसे पतंग को आसमा की बुलंदियाँ छूने के बाद भी कचरे के ढेर में चले जाना है,फिर भी वो उड़ती है, यूँ ही इंसान को भी जाना तो मुक्तिधाम ही है,फिर भी वो कर्म कर के सफलता पाने की कोशिश करता है। Read more