कितनी बार thought by snehpremchand June 25, 2020 जाने कितनी कितनी बार गिरकर लड़खड़ाते कदमों से फिर उठने का करती हूं प्रयास। यह क्या कोई बहुत ही अपना फिर से खींच देता है टांग मेरी, चोटिल वजूद में सजल नैनों में दर्द करने लगता है वास।। Snehpremchand Read more