उठ लेखनी आज कुछ नए काम को देंगे अंजाम। जननी के बारे में कुछ लिख कर करेंगे भला काम।। वो रुकती नही,वो थकती नही,चलते रहना उसका काम। न गिला,न शिकवा,न शिकायत कोई,न देखती भोर,न देखती शाम।। किस माटी से ऊपरवाले ने कर दिया होगा माँ का निर्माण। बहुत ही अच्छे मूढ़ में होगा शायद उस दिन भी भगवान। हम भला करें,हम बुरा करें,कभी नही देती इस बात पर ध्यान। बस हमारा बुरा कभी न होने पाए,इस कोशिश में लगा देती है दिलो जान। एक अक्षर के छोटे से शब्द में सिमटा हुआ है पूरा जहान। न कोई था,न कोई है,माँ से बढ़ कर बड़ा महान।। सच मे एक माँ ही तो होती है गुणों की खान। माँ से घर है,माँ से जहाँ है,माँ से ही घर बनता है मकान।। उठ लेखनी आज कुछ ऐसे काम को देंगे अंजाम। जननी स्वर्ग से भी बढ़ कर है,हो सबको इस सत्य की पहचान।। जननी,जन्मभूमि हो दोनों का ही एहतराम। इस भाव को जीवन में लगे न कभी विराम।।। स्नेह प्रेम चंद