पूछता है जब कोई जन्नत है कहां?? हौले से मुस्कुरा देती हूं मैं, और याद आ जाती है मां।। जीवन के तपते मरुधर में मां सबसे ठंडी है छा।। लगती है जब चोट कभी मुख से निकले केवल मां।। और परिचय क्या दूं तेरा?? मां है तो सुंदर है जहां।। वात्सल्य का गहरा सागर है मां प्रेम का भरी गागर है मां सुरक्षा की गंगोत्री है मां धीरज की गंगा है मां समझौते की डफली है मां अनुराग की पराकाष्ठा है मां शक्ल देख कर हरारत पहचानने वाली केवल और केवल होती है मां हमें हम से बेहतर जाने वाली मा ही तो होती है।हमें गुण और दोष दोनों के संग अपनाने वाली पूरे जहान में मात्र मा ही होती है। मैंने भगवान को तो नहीं देखा पर जब जब देखती हूं मां की ओर भगवान अपने आप ही नजर आ जाते है। मां से गहरा कोई सागर नहीं मां से ऊंचा कोई गगन नहीं मां से धीरज वाली कोई धारा नहीं मां से शीतल कोई पवन नहीं मां से अधिक अडिग कोई पर्वत नहीं मां से हरी कोई हरियाली नहीं मां से अधिक सुकून कहीं भी नहीं कहीं भी नहीं।। सबसे धनवान होते हैं वह जिनके...