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वक्त

कलाकार

जब भी किसी कला का कहीं भी होता है जन्म ईश्वरीय कृपा होती है वहां पर, सृजन का हो जाता है धर्म।।

समय की कोख से

समय की कोख से जन्म लेती हैं घटनाएं कुछ मिलते हैं कुछ बिछड़ते है पर एक दिन अलग हो जाती हैं राहें सबका अपना अपना सफर है सब को पूरा कर के जाना है रिश्तों के ताने बाने में जो उलझा है इंसा ये सब जीवन जीने के बहाने है अपने अपने कर्तव्य जन्मभूमि पर हम को निभाने हैं मोह माया के बंधन हैं बहुत ही गहरे धीरे धीरे ये खुद से छुड़ाने हैं बिछड़ रहें हैं सब बारी बारी कुछ जाने हैं कुछ अनजाने हैं वो जो आज गये हैं हमे छोड़ कर हम बचपन से उनके दीवाने हैं मिले शांति उनकी दिवंगत आत्मा को यही श्रद्धांजलि ही हमारे तराने हैं माँ जैसी होती है मौसी है सच्चाई,नही झूठे फ़साने हैं पहले एक फिर दो फिर तीन हो गए हैं धीरे धीरे पूरे अब चार साल। जाने वाले तो चले जाते हैं अपनो के हिया में उठता है बवाल। आज दे रहे श्रधांजलि उन्हें मिले शांति उनकी दिवंगत आत्मा को मौसी थी हमारी बड़ी कमाल।। ये क्या देखते देखते ही तीन से हो गए चार साल।। समय तो चलता रहता है अपनी गति से, जिंदगी में सदा ही नहीं मिलता कोई पुरसान ए हाल।। जिंदगी चलती रहती है,किरदार बदल जाते हैं,हो बेहतर न हो मन में कोई मलाल।।

सुसंस्कार

कुदरत का सृजन

जिस भी

भुगतान

अहंकार

समय की कोख से

तालमेल

शुक्रगुजार thought by snehpremchand

शुक्रगुजार हूं मैं यूं सब दिल दुखाने वालों का जो मेरे दिल के भावों को इतना उद्वेलित कर देते हैं कि लेखनी सहज भाव से चल पड़ती है, उसे मशक्कत नहीं करनी पड़ती।दर्द की कोख से सदा अच्छे और सच्चे साहित्य का जन्म होता है।।        Snehpremchand

एकतरफा रिश्ता। thought by snehpremchand

एकतरफा रिश्ता कम उम्र लिए जन्म लेता है।।

सृजन thought by snehpremchand

हृदय के गर्भ से जब किसी भी रचना का सृजन सहज और अनायास रूप से होता है,वह उस रचना की नॉर्मल डिलीवरी है। दिमाग के गर्भ से जब जानबूझ कर भारी भरकम शब्दों का मेल सोचे समझे भावों संग कराया जाता है,यह इस रचना की सीज़ेरियन डिलीवरी है।।         स्नेहप्रेमचंद