रूठना भी तब अच्छा लगता है, जब कोई मनाने वाला हो। रोना भी तब अच्छा लगता है, जब कोई आंसू पोछने वाला हो। गुनगुनाना भी तब अच्छा लगता है, जब कोई सुनने वाला हो। सजना भी तब अच्छा लगता है, जब कोई देखने वाला हो। कहीं जाना भी तब अच्छा लगता है, जब कोई बुलाने वाला हो, इंतज़ार करने वाला हो।। मायका भी तब अच्छा लगता है, जब वहां मा बाबा हों।।