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जल है तो कल है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

**जल है तो कल है** जल जीवन का आधार।। **जल है तो महफूज हर पल है** मत मानव, तूं दे ये बिसार।। **जल जीवन की बड़ी जरूरत** है,जीवन का सच्चा ये सार।। **स्वच्छ जल मुहैया हो सब को** होगा सुंदर फिर संसार।। **ना दोहन हो प्रकृति का और अब, सोच इसी सोच का करे श्रृंगार** बारिश का जल भी हो ना व्यर्थ कभी, करें इसे सहेजने का प्रचार।। गंगोत्री से गंगासागर तक  जल की निर्मलता रहे बरकरार।।  जल नफस है जीवन की, जल है दिल में जैसे धड़कन। जल सुर लय ताल है जीवन की है जल जैसे गीत में सरगम *जल जन्नत है जल सुकून है* जल सहजता की पावन धार। जल है तो कल है, जल जीवन का आधार।। जल प्रदूषण को रोकें सब, हो ऐसी परवरिश, हों ऐसे विचार।। जल जीवों का जीना ना हो दुर्भर, हो प्राणी जगत से सबको प्यार।। जल बिन कल्पना भी नहीं जीवन की,जल जीवन का आधार।। हो जितनी जरूरत,हो उपयोग भी उतना,इसी भाव का हो प्रसार।। बूंद बूंद बनता है सागर, लम्हा लम्हा बनती है जिंदगानी। सांझी जिम्मेदारी है हमारी जल के लिए, आए समझ हमे ये सच्ची कहानी।। इस कहानी के मैं आप हम सब ही तो हैं किरदार। जल है तो कल है,जल जीवन का आधार।।              स्नेह प्रेमच