तदबीर thought by snehpremchand June 11, 2020 ए खुदा! जेहन में आ जाए कोई ऐसी तदबीर। सबा बहती है जैसे चमन में, नयनों में जैसे बहता है नीर।। खौफ ए जेहन हो जाए ज़मींदोज़ नेस्तनाबूद हो जाएं मन के सारे विकार। मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना इसी भाव की हर दिल में खिंच जाए तस्वीर।। Snehpremchand Read more