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प्रेम ना जाने

प्रेम न जाने जाति पाति प्रेम न जाने मज़हब की दीवार, जिसने पढ़ ली प्रेम की पाति, सुखमय हो जाता उसका संसार।। स्नेहप्रेमचंद