यूं हीं तू नहीं बनता गुलकंद, जाने कितने पुष्पों को देनी पड़ती है कुर्बानी। जिंदगी और कुछ भी नहीं है,सच तेरी मेरी कहानी।। इस धरा पर कोई देवात्मा सी तूं, लगती थी तेरी हर बात और हरकत रूहानी। तेरे होने का एहसास ही है तेरी सबसे बड़ी निशानी।। * केसर प्यारी* सी महकती रही तू प्रेम चमन में, तेरी ही तो परछाई हैं ये पावनी और सुहानी।। कुछ नहीं,बहुत कुछ खास रहा होगा तुझ में, यूं ही तो नहीं दुनिया होती किसी की इतनी दीवानी।। दिल कितना बड़ा था तेरा, सच में तू रही ताउम्र बड़ी ही दानी।। फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाली, कभी ना हुई तू अभिमानी। किस किस संज्ञा से नवाजे तुझे, रानी नहीं तू तो थी महारानी।। कितनी शीतल कितनी पावन पारदर्शी सी रही तू जैसे हो निर्मल पानी। उम्र भले ही छोटी रही हो तेरी पर थी बड़े बड़े बड़े कर्मों की जिंदगानी ।। खुद मझधार में हो कर भी साहिल का पता बताने वाली, आने वाली पीढ़ियां भी नहीं भूलेंगे तेरी कहानी।। यूं ही तो नहीं बनता गुलकंद, जाने कितने पुष्पों को देनी पड़...