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Showing posts with the label जिजीविषा

धुंधले मंजर साफ हो गए(( संस्मरण स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

ताउम्र नहीं बदली तूने डीपी ((विचार स्नेह प्रेमचंद))

जान की जान हो तुम

तेरी मुस्कान((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

श्रृंगार

इंतजार((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

जीवन चाहे छोटा हो((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

याद

माँ अक्सर मुझे याद आ जाती है। जिजीविषा से भरी उसकी जिंदगी,हम सबको कुछ न कुछ सिखाती है।।