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68 वां स्थापना दिवस निगम का

ऐसा होता है पिता(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मेरी इस रचना की खासियत यही है कि एल आई सी policies के नामों का सहारा ले कर जो कि स्टार कॉलम में हैं, पिता की खूबियों और हर पिता के चित चिंतन का वर्णन किया गया है।।  *आजीवन*बंदोबस्ती* और *धन वापसी*तीन प्रकार की एल आई सी पॉलिसी होती हैं,इसके बाद उनका वर्गीकरण होता है।।मेरी छोटी सी कोशिश शायद आपको पसंद आए।। *आजीवन* हमारी जिम्मेदारी लेने वाला होता है पिता "बंदोबस्त* करता है हमारे सुखद भविष्य का पिता *धन वापसी* मिलती रहे ताउम्र, ऐसा कुछ सोचता रहता है पिता *धनरक्षा* होती रहे सदा, इसी उधेड़बुन में लगा रहता है पिता हमारे *कोमल जीवन* को खानी पड़ी ना कभी कोई कठोर ठोकर,सोचता रहता है पिता *बाल विद्या*से वंचित न हों हम कभी शिक्षा संग संस्कार देता रहता है पिता *जीवन किरण*उम्मीद की से रहे रोशन सदा,दुआ करता है पिता *जीवन उमंग* रहे सदा बरकरार इसी कोशिश में लगा रहता है पिता कोई अवसाद विषाद ना आए चित में कभी,*जीवन तरंग* से हो सदा गुलजार,चाहता है पिता *जीवन शिरोमणी* हो हमारा, दुआ करता रहता है पिता *जीवन मंगल* मय रहे सदा बच्चों का यही पिता की मंशा होती है *भाग्य लक्ष्मी*का करे सदा वरण किसी बात से ...

भारतीय जीवन बीमा निगम

और कहीं फिर क्यों हो जाना(((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)))

एल आई सी नाम है