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अभिव्यक्ति नहीं अहसास है मां

अभिव्यक्ति नही अहसास है माँ, जीवन में सबसे खास है माँ, आ जाये गर कोई परेशानी, हर संभव प्रयास है माँ।। आस है माँ,विश्वास है माँ, एक शब्दातीत आभास है माँ, रीत है माँ,रिवाज है माँ, शिक्षा है माँ,संस्कार है माँ, है माँ ही धुरी परिवार की। कोई और मां जितनी खुशी दे ही नहीं सकता संसार की।। दिल है मां,धड़कन है मां जीवन की सबसे मधुर सरगम है मां।। ममता का हस्ताक्षर है मां अपनत्व की प्रतिमा है मां सहजता का सूरज है मां शीतलता का चांद है मां संयम की प्रकाष्ठा है मां वात्सलय की गंगोत्री से सतत बहने वाली स्नेह धार है मां मां को परिभाषित करना हो ही नहीं सकता आसान एक अक्षर के छोटे से शब्द में सिमटा हुआ है पूरा जहान अतिशयोक्ति नहीं ये सच्चाई है, मां से बढ़ कर नहीं कोई महान।। मां ईश्वर का पर्याय है धरा पर मां से ही असीम अनंत ऊंचा है आसमा।। हर्फ हैं हम तो किताब है मां सच में जिंदगी का आफताब है मां।। खुद मझधार में हो कर भी जो साहिल का पता बताती है, कोई और नहीं मेरे प्यारे बंधु, वो सिर्फ और सिर्फ मां कहलाती है।। खुद झेल कर सारी अली झली, हमारी राहें आसान बनाती है कितनी भी आ जाए परेशानी, वो मंद मंद मुस्काती है...

पर्व है उत्सव,उल्लास है मां