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Showing posts with the label जोश का परचम है लहराया

हाथ हों बेशक नन्हें(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*हाथ हों बेशक नन्हें पर जोश है पूरे परचम पर लहराया* *कल मोहताज नहीं होती किसी उम्र की, देख इस लाडो को समझ में आया*