शीर्षक _इस बार दिवाली में *झाड़ना ही है तो घर संग मन की भी गर्द झाड़ लो इस बार दिवाली में *रंगना ही है तो रंग लो मन प्रेम से, ऐसा कोई रंगरेज बुला लो इस बार दिवाली में* *जलाना ही है तो जला लो दीया ज्ञान का, ले आओ ऐसे ज्ञान दीये इस बार दिवाली में* *शमन करना ही है तो करो विकारों का लोभ,मोह,काम,क्रोध,ईर्ष्या,अहंकार का इस बार दिवाली में* भला करना ही है तो करो कुम्हार का, खरीद माटी के दीये उससे जो लाए उजियारे उसकी अंधेरी झोपड़ी में भी, इस बार दिवाली में जमी है बर्फ जो किसी रिश्ते पर मुद्दत से, पिंघला दो स्नेह सानिध्य से इस बार दिवाली में जाले उतारने ही हैं तो तो उतार दो पूर्वाग्रहों, नफरतों, भेदभाव के इस बार दिवाली में धोनी ही है तो धो डालो समस्त बुराइयां चित से, हो जाए मन उजला,निर्मल, पावन इस बार दिवाली में विचरण करना ही है तो करो मन के गलियारों में, जहां गए नहीं बरसों से, करो मुलाकात खुद की खुद से इस बार दिवाली में देना ही है तो दो यथा संभव दान जरूरतमंदों को इस बार दिवाली में देना ही है वक्त तो दो अपने माता-पिता को इस बार दिवाली में मिटानी ही है दूरियां तो मि