वो सत्यवान नाटे से तने तंग करया करेंगे सावित्री,याद आया फिर माँ का ये पुराना सा गीत,कितनी तन्मयता से गाती थी माँ,वो हरयाणवी लहजा ही था उसका संगीत,वो गाती थी,हम सुनते थे,वो भी एक जमाना था,कितनी स्मृतियाँ बसी हैं माँ तेरी जहन में,तेरी हर बात सुन्दर तराना था