यूं ही बनी रहे ये June 06, 2021 यूं ही बनी रहे ये तिकड़ी हमारी। एक ही वृक्ष के हैं पात और लताएं, एक ही तो है हमारी फुलवारी।। कभी छांव है कभी धूप है, राहें हमने संग संग हैं गुजारी।। साथ बना रहे,प्रीत जुड़ी रहे, हैं हम ईश्वर के आभारी।। स्नेह प्रेमचंद Read more