Poem on brotherhood. मजहब by snehpremchand July 02, 2020 हर हिंदू बने विवेकानंद और हर मुस्लिम बने कलाम। जाति को नहीं बस मिले तो मिले गुणवत्ता को सलाम।। मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना आपसी भाईचारा ही है तीरथ और धाम।। Snehpremchand Read more