मुख्तसर सी वजह है तुझे याद करने की,दोनों ही बातें अति उम्दा रही तेरी, मीठी बोली और मधुर व्यवहार बार बार नहीं लेते जन्म तुझ से धरा पर किरदार कर्म ही असली परिचय पत्र होते हैं व्यक्ति के, वरना एक ही नाम के व्यक्ति होते हैं हजार जाने कितने ही खास खास कर्मों की रही तूं सूत्रधार हानि धरा की लाभ गगन का कैसे आए तुझ बिन करार