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धार है नदिया की

मुस्कुरा thought by snehpremchand

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो। क्या गम है जो छिपा रहे हो। किसी भी मुस्कुराते हुए व्यक्ति को देख कर ये कभी न सोचना उसको कोई गम नही है,बस उसे अपना गम छिपा कर मुस्कुराना आता है।         Snehpremchand