मां आ जाओ इस बार, मां आ जाओ इस बार। है कष्ट में बच्चे तेरे, मां तूं ही तारणहार।। जब बच्चा रोता है, तो वो मां को बुलाता है हर कष्ट विपत्ति में, ध्यान मां का ही आता है।। ध्यान रखती हो सबका, करो ऐसा ही इस बार। चित चिंता हरो मैया, न पनपे कोई विकार।। मां आ जाओ इस बार, मां आ जाओ इस बार।। एक वायरस आया है, उसने सबको डराया है। सब सहमे हुए हैं माता, जैसे खौफ का साया है।। एक गहरा सा भंवर है ये, तुम ही बनो पतवार। सौ बातों की एक बात है, जाना है भव से पार।। मां आ जाओ इस बार, मां आ जाओ इस बार।। बिन कहे ही तूं जाने देती शरणागत को तार।। है अंधेरा घणा माता, कुछ भी न नजर आता। इस भूल भुलैया में, मन उलझा सा है जाता।। अब तुम ही संभालो हमे, तेरा सज रहा है दरबार। तेरी मोहक,मधुर सी छवि, है तुझ से ही मां प्यार।। ऐसा वर दे,निर्भय कर दे, मां तूं ही बक्शनहार। पूरे जग में है बैचेनी, मिटा दो न मां अंधकार।। हो सत्या,सावित्री मां, मां तूं ही है जीवन आधार। कर बद्ध विनती है मां, कर लो न स्वीकार।। मां आ जाओ इस बार, मां आ जाओ इस बार।। स्नेह प्रेमचंद...