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अजीब

नासूर

सलामत रहे

कहीं

कहीं जन्म है कहीं मरण है कैसा है यह कुदरत का दस्तूर। वक्त रहते ही जख्म को मरहम लगाना जरूरी है वरना बन जाता है नासूर।।