Skip to main content

Posts

Showing posts with the label दान में कर्ण सा

POEM ON RATAN TATA (कोई आप से सीखे) विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा

संकल्प को सिद्धि से  मिलाना *कोई आप से सीखे* सपने वे होते हैं जो हमें सोने नहीं देते इस कथन को चरितार्थ करना  *कोई आप से सीखे* क्या होती है विनम्रता,सादगी,प्रतिबद्धता और कर्मठता, *कोई आप से सीखे* कैसे करते हैं दान, *कोई आप से सीखे* सोच का विस्तार कर, कर्म की गंगा  बहा कर सुपरिणाम लाना  *कोई आप से सीखे* एक जिंदगी पर उपलब्धियां अनेक *कोई आप से सीखे* नमक से जहाज बनाना  *कोई आप से सीखे* उतार चढ़ाव से बिखरना नहीं निखारना है *कोई आप से सीखे* कौन कब क्या क्यों कैसे कितना कर रहा है के स्थान पर मैं क्या कर रहा हूं *कोई आप से सीखे* क्या होती है दूरदर्शिता  *कोई आप से सीखे* शिक्षा के भाल पर संस्कार लगाना *कोई आप से सीखे* कर्म ही असली परिचय पत्र होते हैं व्यक्ति का *कोई आप से सीखे* जग से जा कर भी जेहन में अमर हो जाना *कोई आप से सीखे* मानवता क्या होती है , *सब आप से सीखें* बेजुबान जानवरों से प्रेम करना *कोई आप से सीखे* क्या होता है परमार्थ  *कोई आप से सीखे* दान में कर्ण सा, कर्मठता में माधव सा, प्रतिबद्धता में राघव सा होना,  *सब आप से सीखें* आप पर तो कोई शोध क...