*आज सच मुझे कुछ कहना है* दिल के भावों को इजहार की माला में पिरोना है। अतीत की चौखट पर जब देती हूं दस्तक,तो वो लम्हे लगते हैं झांकने, जब अमित का वजूद मेरे अस्तित्व में आया था। मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत लम्हा, जब ईश्वर ने मुझे चिंटू की मां बनाया था।। पल पल गुजरती रही जिंदगी,जाने कितने ही अनुभवों ने जिंदगी भाल पर तिलक लगाया था।। छोटा सा चिंटू कब डॉक्टर अमित रावल बन गया,मुझे पल पल पता चला है, मैं नहीं कहूंगी कि पता ही नहीं चला।। बचपन,लड़कपन,जवानी हर अवस्था की गवाह मां ही तो होती है।।एक मां के चश्मे से देखूं तो खूबियां ही खूबियां नजर आती हैं मुझे,खामियां तो जैसे कहीं सुस्ताने चली जाती हैं अमित के विषय में।। मुस्कान लबों पर,सुकून चेहरे पर, पानी सा पारदर्शी व्यवहार मैं क्या ये तो सब कहते हैं,प्रेम ही इसके जीवन का आधार।।