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दूर नजर से हो बहना

दूर नज़र से हो बहना,  पर दिल से दूर नही होती। शायद ही कोई रात हो ऐसी, जब वो याद नही कर के सोती। जब ज़िन्दगी अनुभूतियों से परिचय करती है,तब बहन साथ होती है। खुशी में साथ हंसती ही,गम में साथ  रोती है।। बचपन की ज़िद में,बचपन के लड़ाई झगड़ों में,बचपन की हंसी ठिठोली में,समझौतों में हर जगह तो होती है बहना।। सोना चांदी हीरे नहीं,बहना ही है अनमोल सा गहना।। जीवन मे जीवनसाथी,बच्चों से बहुत पहले का साथ बहन का होता है। हर सुख में,हर दुख में वो साथ खड़ी होती है। वो  माँ  तो नही बन सकती,पर माँ की परछाई, माँ का अक्स ,अगर माँ के बाद कहीं ढूंढना हो तो बहन से बेहतर विकल्प कोई नही होता।। कई बार गलतफहमी की कोई दीवार भाई बहन के पावन रिश्ते में आ भी जाये,तो प्रेम की कुदाल से तत्काल तोड़ दो,कहीं दीवार पक्की हो गयी,तो गिराना मुश्किल होगा। नए रिश्तों के नए भंवर में बहना तो उलझी उलझी सी होती है। पर नैनो में वो आज भी अपने भैया को सोच कर सोती है।