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नजरिया

दृष्टिकोण

दृष्टि सबकी समान हो सकती है,पर दृष्टिकोण नहीं।। तन के भाग सबके समान हो सकते हैं, पर मन के विचार नहीं, यही कारण है हम सब अलग हैं।।       स्नेह प्रेमचंद