*गिरधर राखो लाज हमारी देखो मौन है ये सभा सारी* *मेरे अपने,मेरे बड़े,मेरे अनुज सब के आगे गिड़गिड़ा रही दुखियारी* *इतनी अपमानित न हुई होगी पूरे विश्व मे कोई भी नारी* *गिरधर राखो लाज हमारी* *और नही आशा मुझे किसी से, अब शोला बन गयी है चिंगारी* *महाभारत का बीजारोपण आज ही के तो है दिन हुआ* *काश लब खोल लेते गर बड़े जब वो न होता,जो उस दिन हुआ* *इतिहास का वो पन्ना , हुआ था जो उस दिन दागदार* *आज भी नही छूटा रंग उसका लुटती है आज भी द्रौपदी हज़ार* *उस दिन तो फिर भी आ गए थे कान्हा पर आज हर द्रौपदी को कान्हा नही मिलते* *जाने कितनी ही अरमानो की कलियों के पुष्प कभी भी नही खिलते* *पूरी कायनात रोती है उस दिन जिस दिन लुटती है कोई नारी* *गिरधर राखो लाज हमारी* सिसकेगा इतिहास युगों तक, *आज अगर तुम नहीं आए, सुलगेगी कायनात ये सारी*