Skip to main content

Posts

Showing posts with the label द्रौपदी

कान्हा

हर द्रौपदी को नही मिलते कान्हा दुशाशन हर मोड़ पर हैं मिल जाते, भरी सभा मे होता है चीर हरण भीष्म मौन सा धारण हैं हम कर जाते।। बिटिया द्वारा बनाई गई दोनों ही पेंटिंग्स इन्ही भावों को उजागर करती हुई

द्रौपदी, सीता और दामिनी poem by sneh premchand