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धरा ने ओढ़ी धानी चुनरिया

धरा ने ओढ़ी धनी चुनरिया और नारंगी घाघरा पहन लिया। प्रकृति पर ऐसा आया यौवन तन मन उसका महक गया। बसन्त ने मांग भरी प्रकृति की रोम रोम प्रकृति का  चहक गया।।          स्नेह प्रेमचन्द