Thought on mother by sneh premchand मंज़र August 21, 2020 हर मंज़र धुन्दला जाता है, माँ आँखों में आ जाता है पानी। क्या भूलूँ क्या याद करूँ मैं, हैं जेहन में तेरी अगणित निशानी।। ज़िन्दगी और कुछ भी तो नहीं, है सच में बस तेरी और मेरी कहानी।। स्नेह प्रेमचंद Read more
मंज़र June 18, 2020 हर मंज़र हो जाता है धुंधला जब आंखें दिल की पढ़ लेती है किताब। लब तो ओढ़ लेते हैं खामोशी की चुनरिया,पर आंखें बिनपूछे ही दे देती है जवाब।। Read more