अतीत के चेहरे से जब मैंने कुछ वक़्त की धूलि हटाई। येे क्या,मेरी ख़ास सहेली, मेरे मानसपटल पर दौड़ी आई।। जाने कितनी ही मधुर अगणित यादों ने, दे डाली दस्तक दिल की चौखट पर, कितनी ही अनुभूतियां हौले हौले मुसकाई।। वो कितना हंसती और हंसाती थी। हर समस्या का पल भर में समाधान बन जाती थी।।