**प्रेम परिचय** सुन नफरत की ओछी बातें, प्रेम भी मन्द मन्द मुस्काया। देकर अपना सच्चा परिचय, नफरत को प्रेम का पाठ पढ़ाया।। प्रेम है हर रिश्ते का आधार। है प्रेम तो है जीवन से प्यार।। प्रेम है तो फिर सब अपने पास है। प्रेम तो एक मीठा सा अहसास है।। प्रेम तो ऐसा साबुन है बहना, जो मन के धो डालता है सारे विकार। तुम भी गर नहा लो इस साबुन से बहना, हो जाएं सुंदर तोरे दीदार।। मानो आज मेरा एक कहना मिटा दो चित से सारे धुंध कुहासे ईर्ष्या अहंकार। करुणा का बहने दो सतत निर्झर चित में बेशुमार।। जीयो और जीने दो सबको, करो बस मेरे ही मेरे साक्षात्कार।। नजर नहीं फिर बदल जाएगा नजरिया बन जाऊंगा मैं ही हर नाते का आधार।। स्नेह प्रेमचंद