नमन नमन हे नारीशक्ति! नमन नमन तुझे बारम्बार। करुणा,विवेक,सौंदर्य की त्रिवेणी, मानवता का अद्वितीय श्रृंगार।। सृजन की मूरत,ममता की सूरत, प्रेम बनाया जीवन आधार। तमस में आलोक हो,पुष्प में पराग हो, हो शिक्षा तुम, हो तुम्ही संस्कार।। उत्सव भी तुम हो,उल्लास भी तुम हो,हो तुम्ही नारी, सारे रीति रिवाज। तुमसे ही बजता है सृष्टि के हर कोने में,जिजीविषा का सुंदर सा साज़।। मरियम,सीता,अनुसूया तूँ, तूँ ही राधा,मीरा ,पांचाली। बहन,बेटी,पत्नी,माँ हर किरदार में उत्तम चलाई कुदाली।। घर को मंदिर बनाने वाली, खुद गीले में रह कर बच्चों को सूखे में सुलाने वाली, शक्ल देख हरारत पहचानने वाली, शिक्षा के भाल पर संस्कारों का टीका लगाने वाली, वात्सलय निर्झर बहाने वाली, हुआ नतमस्तक पूरा संसार। नमन नमन हे नारीशक्ति, नमन नमन तुझे बारम्बार।। सर्वत्र पांव पसारे तूने, हर क्षेत्र को कर दिया आबाद। सीमित उपलब्ध संसाधनों में भी, तूने,कर्म का सदा बजाया शंखनाद।। सबको लेकर साथ चली तुम, निभाया सर्वोत्तम हर किरदार। संयम,संतोष,कर्मठता की त्रिवेणी, मानवता का अद्भुत श्रृंगार।। बेटी कभी नही होती पराई, ये भी सार...