मुझे ये तो नहीं पता प्रेम मापने की क्या होती है गहराई पर इतना जरूर पता है मुझे जिससे प्रेम हो सच्चा,जब वो हो सामने,कोई और तो देता ही नहीं दिखाई तेरे संदर्भ में यह बात सौ फीसदी उभर कर सामने आई तेरे अभाव का प्रभाव बता गया तूं खास नहीं अति अति खास थी मां जाई सबके ही दिलों में ऐसे करती थी बसेरा,जैसे तन संग होती है परछाई हर सांझ है बांझ तुझ बिन, हर मोड़ पर तूं याद आई शब्दों से नहीं भावों से दोस्ती है मेरी,वरना बता देती दिनकर सी दमकती थी मेरी मां जाई 11 स्वर और 33 व्यंजन भी नहीं सक्षम जो तुझे कर सकें परिभाषित,यकीनन हर भाव के लिए शब्दों की उत्पति किसी भी ज्ञानी ने नहीं बनाई