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रंगरेज

आंचल मा का

Poem on mother मां सा नहीं मिलता कोई दोबारा

शक्ल देख हरारत पहचान लेती है  जो एक नजर में। सच में मां सा नहीं मिलता कोई दोबारा, ज़िन्दगी के सफ़र में।।                स्नेह प्रेमचंद