इससे अच्छी भला क्या होगी कोई भी तस्वीर?? मिल जाए फिर से तूं दुनिया के मेले में, *नहीं ऐसी हमारी है तकदीर* *ठंडी हवा का झोंका सी तूं* *पारदर्शी जैसे गंगोत्री का नीर* *सागर से रही सदा गहरी, समझ ऐसी जैसे साहित्य में कबीर *अम्बर से अनंत सपने देखे, धरा सा धरा तूने सदा ही धीर* *न गिला न शिकवा न शिकायत कोई, कभी न दिखाई अपनी पीर* *कभी न रुकी,कभी न थकी* *रही ऐसी मधुर जैसे भोजन में खीर* *युग आएंगे युग जाएंगे काल के कपाल पर सदा के लिए चिन्हित हो जाते हैं तुझ से वीर जग मेले में मिला न तुझ जैसा कोई, हो जिसकी तुझ जैसी ठंडी तासीर* *करुणा का ओढ़ा सदा दुशाला, कर्म की कूची से बदल डाली तकदीर* *कृतितत्व माधव सा रहा तेरा व्यक्तित्व राघव सा रहा गंभीर* हनुमान भगति की दिल से तूने, सच बांध सब्र की,पारदर्शी जैसे नीर *आजमाइश आजमाती रही ताउम्र तुझे, हंसती रही सदा ना देखा कभी लाडो तुझे अधीर* *कुछ करती रही दरगुजर कुछ करती रही दर किनार* *लाई ना कभी नयनों में नीर*