**सांझी प्रगति सांझे प्रयास*" इस भाव से लबरेज समूह अति खास।। तारों की छांव में भी, उगती भोर से हैं आप सबके प्रयास। छोटे बड़े सब भरे ऊर्जा से, अंतस में हो आपके जैसा उजास।। निशब्द सा कर देते हो आप, हो घने तिमिर जैसे प्रकाश।। धन्य हैं हम हिसार वासी, आप जैसा संगठन करता है इन गलियारों में वास।। संस्कारों की शिक्षा का महाविद्यालय है समूह ये, सबका साथ सबका विकास।। धन्य हुई धरा हरियाणे की, है जोश जज्बा और जुनून इन नागरिकों के पास।। उच्चारण नहीं आचरण में है आप सब का विश्वाश।। कर्म ही असली परिचय पत्र होते हैं व्यक्ति का, नाम से कभी नहीं कोई बन सकता है खास।। *बूंद बूंद बनता है सागर लम्हा लम्हा बनती है जिंदगानी* एक एक करके बना कारवां, सत्कर्मों की जगह जगह निशानी।। कभी रुके नहीं,कभी थके नहीं, ना शिकन माथे पर,लबों पर हास परिहास।। *सांझी प्रगति सांझा प्रयास* यही भाव समूह को बनाता है खास।। सत्कर्मों की होती है बड़ी तेज आवाज, कण कण में होता है इसका वास।। सो रहा है शहर,जाग रहे हैं आप, मधुरम मधुरम आप सब से प्रयास।। **सांझी प्रगति सांझा विकास** इसी भाव से लबरेज समूह अति खास।। ...