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Showing posts with the label नाता

आंख और नीर

आंखों ने कहा नीर से,ऐसा क्या है तेरा मेरा नाता? उदास गर दिल होता है,मुझ में से राह बना कर झट से बाहर तुम आ जाते हो। मैं तो खड़ी रहती हूं सोचती, और तुम झट से बह जाते हो। कहा नीर ने,ओ मोरे नैना,जब भी आहत होता है मनवा, मैं भीतर नही रह पाता हूँ। तोड़ बंदिशें तोरी नैना,मैं पल भर में बह जाता हूँ।।

एक ही हैं

कितना प्यारा

कितना गहरा कितना प्यारा

कितना गहरा कितना प्यारा होता है यह नाता। मां से सुंदर कुछ भी तो नहीं,किसी को जल्दी किसी को देर से समझ में है आता।।।

काले गोरे का भेद

भेद नहीं

दो नहीं एक (विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)

अच्छे मूढ़ में होगा

बहुत ही प्यारा नाता

प्यारा नाता

सच में बहुत ही प्यारा नाता

खैर खवा

वो है तो सब मुमकिन है thought by snehpremchand

वो है तो सब मुमकिन है, असम्भव भी सम्भव हो जाता है। संकल्प से सिद्धि तक के सफर को, एकजुट होकर करवाता है। आह्वान किया जब भी उसने, वतन एकतासूत्र में बंध कर दौड़ा आता है। एकता में बल है कितना, सबको अहसास करवाता है। और अधिक नही आता कहना, माँ भारती से उसका गहरा नाता है। वो है तो सब मुमकिन है, वो वतन का अभिमान बन जाता है।।        स्नेहप्रेमचंद