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किरदार

कुछ लोग जीवन में ऐसे निभा जाते हैं अपने सारे किरदार आगामी पीढ़ियां भी सीखती रहती हैं उनसे बेशुमार उच्चारण नहीं आचरण में होता है विश्वाश उनका हर बार वे कहते नहीं कर देते हैं  नहीं शब्दों में वह ताकत जो प्रकट कर पाएं उनका आभार शब्दकोश की जगह कोई भावकोश भी बना होता तो बता देती अच्छे से उनकी सोच का सार सोच कर्म परिणाम की ऐसी बहा देते हैं त्रिवेणी, उपलब्धि खटखटा ही देती है उनकी जिंदगी का द्वार संकल्प,प्रतिबद्धता,प्रयास का सार समझ आ जाता है उनको,नहीं पनपता चित में कोई विकार फर्श से अर्श का सफर तय करने के बाद भी दूर ही रहता है अहंकार और परिचय क्या दूं तेरा??? प्रेम ही रहा तेरे हर नाते का आधार कुछ करती रही दर गुजर, कुछ करती रही दर किनार सबके सुंदर तो मां जाई थे तेरे ये नायाब अलंकार *मधुर वाणी मधुर व्यवहार* हर नाते को सींचा प्रेम से तूने प्रेम सुता का निभा गई किरदार काल के कपाल पर चिन्हित हो जाते हैं कुछ लोग, शीर्ष पर है उनमें तेरा नाम शुमार कर्मठता,सहजता,जिजीविषा करुणा का अनहद नाद बजाया तूने जाने कितनी ही बार रखता है याद ऐसे लोगों को ये इतना बड़ा संसार