पीड़ा हर ले,निर्भय कर दे, सुन ले ना अब तो भगवान। ख़ौफ़ज़दा हैं बालक तेरे, कर दे ना अब जन कल्याण।। हे माधव!तूँ फिर से आजा, दे जा गीता सा गहरा ज्ञान। विचलित है मन,व्याकुल है तन, आहत है तेरा इंसान।। पीड़ा हर ले,निर्भय कर दे, सुन ले ना अब तो भगवान।। हटा दे तमस और ला उजियारा, चमका दे ये सूना जहान। ख़ौफ़ज़दा हैं बालक तेरे, कर दे अब तूँ जन कल्याण।। हे बजरंगी! ला फिर कोई बूटी, बच जाएं जो सबके प्राण। आस जगा दे,उदासी मिटा दे, दे दे ना तूँ जीवनदान।। ख़ौफ़ज़दा हैं बालक तेरे, करदे न अब जन कल्याण। हे भोले! फिर पी ले गरल तूँ, जग को दे दे अमृत दान। ऐसा वर दे,निर्भय कर दे, आहत है तेरा इंसान।। तेरी शरण है बस एक सहारा, कर दे ना तूँ जन कल्याण।। हे राघव! फिर आ जाओ, घबराया हुआ तेरा इंसान। मौत के दैत्य ने हैं पाँव पसारे, जीना हुआ है हराम।। कर दो मर्दन,जन करें क्रंदन, सर्वत्र हुआ है सुनसान। मौत से हार रही ज़िंदगानी, दे दो न अब जीवन दान।। पीड़ा हर ले,निर्भय कर दे, सुन ले ना अब भगवान।। स्नेहप्रेमचन्द