प्रेम की बुहारी से मन के मैल की सफाई करके तो देखो,मन कितना निर्मल हो जाता है। सदभाव का लगाओ मलिन मनों पर पोचा मन का फर्श चम चम चमाता है।। करुणा की करो झाड़ पुंछ, ज़र्रा ज़र्रा दमदमाता है।। सेटिंग करो अंतरात्मा की, इंसा भवसागर से तर जाता है।। स्नेहप्रेमचंद