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बुहारी प्रेम की thought by snehpremchand

प्रेम की बुहारी से मन के मैल की सफाई करके तो देखो,मन कितना निर्मल हो जाता है। सदभाव का लगाओ मलिन मनों पर पोचा मन का फर्श चम चम चमाता है।। करुणा की करो झाड़ पुंछ, ज़र्रा ज़र्रा दमदमाता है।। सेटिंग करो अंतरात्मा की, इंसा भवसागर से तर जाता है।।             स्नेहप्रेमचंद