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संरक्षित जीवन,सुनिश्चित खुशियां

संरक्षित जीवन,सुनिश्चित खुशियां आशा विश्वाश का खिले प्रभात यही मूल भाव है हमारे निगम का मिले जन जन को खुशियों की सौगात एक टोकरी में पुष्प अनेक हैं सुख,समृद्धि की सब करते बरसात आओ करो स्नान इस जनकल्याण के जल में, होगी सुखद फिर हर प्रभात जीवन को ये आनंद बना दे, जीवन में सुरक्षा के पुष्प खिला दे, जीवन लक्ष्य को पूरा करवा दे जीवन को हर पल उत्सव बना दे निवेश प्लस से खुशियां प्लस करा दे जीवन को उत्सव बना दे जीवन में शांति ला दे हर उत्पाद से अपने जीवन को सही लाभ दिला दे ऐसे अनोखे उत्पादों की पल पल मिलती है सौगात सुखद वर्तमान,उज्जवल भविष्य का खिले प्रभात संरक्षित जीवन,सुनिश्चित खुशियां बदल निगम हमारे हालात सुख हो या फिर दुख की बदली पहुंचे ना किसी को कभी आघात आर्थिक संबल का कंबल ओढ़ा देती   यह संस्था, आत्म सम्मान पर नहीं लगने देती है घात  जीवन के साथ भी,जीवन के बाद भी है,  साथ हो जब इसका, बेफिक्र हो जाते फिर दिन और रात