माँ जाई। thought by snehpremchand April 23, 2020 भावनाओं की कलम सर, अल्फ़ाज़ों की स्याही से, अभिव्यक्ति की किताब पर, जब कुछ लिखने बैठी, तूँ ही तूँ नज़र आई, कोई और नही तूँ, है री मेरी माँ जाई ।। स्नेहप्रेमचंद Read more