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अब एकलव्य नहीं रहे

अब एकलव्य नही रहे, पार्थ और एकलव्य की एक ही जैसी थी तीरंदाजी। पर पक्षपात के कारण ही तो अर्जुन जीत ले गया बाजी। वो जीत कर भी हारा, एकलव्य हार कर भी गया है जीत। आज भी नाम आता है जब एकलव्य का,मन श्रद्धा के गाने लगता है गीत।।

अब एकलव्य नहीं रहे

अब एकलव्य नही रहे, पार्थ और एकलव्य की एक ही जैसी थी तीरंदाजी। पर पक्षपात के कारण ही तो अर्जुन जीत ले गया बाजी। वो जीत कर भी हारा, एकलव्य हार कर भी गया है जीत। आज भी नाम आता है जब एकलव्य का,मन श्रद्धा के गाने लगता है गीत।।