मां जाई February 21, 2022 मात पिता का अक्स देखना हो तो, देख लो मां जाई में। बहुत ही ठंडक मिलती है, सच इसकी परछाई में।। Read more
दस्तक thought by snehpremchand April 14, 2020 उम्र की चादर पर जब अनुभवों की पड़ने लगी सलवटें ,ज़िन्दगी सिमटी सिमटी सी हो आई। कतरन कतरन जाने कितनी ही यादों की, धुंधली धुंधली सी अनेकों परछाई ।। जब माज़ी की चौखट पर दस्तक दी उन्होंने, लेने लगी लम्बी सी अंगड़ाई।। स्नेहप्रेमचंद Read more