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Poem on Ratan Tata(दान में कर्ण सा,कर्मठता में माधव सा* विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

दान में कर्ण सा, शरणागत की शरण सा, कर्मठता में माधव सा, प्रतिबद्धता में राघब सा, तीनों का संगम मुझे तो  एक ही व्यक्ति में नजर आता है चहुं ओर देख लो नजर दौड़ा कर, व्यक्ति ये रतन टाटा कहलाता है यकीन को भी नहीं होता यकीन एक ही जीवन में कोई इतना कैसे कर जाता है??? नमक से जहाज बनाने तक के सफर में कोई कितनी जद्दोजहद लगाता है इतना बड़ा उद्योगपति होने पर भी मानवीय मूल्यों को सहेजे जाता है एक व्यक्तित्व का इतना विस्तार हो कितना विराट हो जाता है नित नित चढ़ते रहे सफलता के सोपानों पर, हर प्रयास आपका उपलब्धि का द्वार खटखटाता है अर्जुन सा साधा लक्ष्य सदा, संदेश गीता का कदम कदम पर अपनाता है परमार्थ के लिए चलता रहा जो निस्वार्थ आजीवन, जुगुनू नहीं वो बन दिनकर जीवन अगिणतों का रोशन कर जाता है एशिया का सबसे बड़ा टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल बेस्ट हॉस्पिटल की श्रेणी में आता है दया, करुणा,प्रेम,परोपकार से जिसका जन्मों  जन्मों का नाता है बेजुबान पशुओं से अगाध प्रेम उनका, उनके कोमल चित से अवगत करवाता है संगत का सदा रखो विशेष ध्यान  सफलता सदा...