मुबारक हो तुझ को, दादी की प्रिया माधवी। मुबारक हो तुझ को, बुआ की परी परिवेश।। मुबारक हो तुझ को, पापा की पारू।। आज अगर होते तेरे दादा दादी, खुशी में झूम उठता उनका मन मयूर। जगह से बेशक हो जाना, पर दिल से कभी होना न दूर।। सबकी प्रिय,सबकी चहेती, है तूं सबकी गम गुसार। करते थे,करते हैं,करते रहेंगे सदा तुझे प्यार।। तो सुना क्या तूने डॉक्टर प्रिया माधवी,करती हो तुम इकरार???? स्नेह प्रेमचंद