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परीक्षा

प्रेम की भाषा

रामायण

परवाह

मात पिता

उपहार मात्र उपहार ही नहीं होता

उपहार नहीं होता कभी मात्र उपहार उपहार प्रेम,परवाह,अपनत्व का है सार याद आती है मुझे वो हाथ की बनी क्रीम सी स्वेटर जो तुझे दिल से भाई थी मैने कहा ये तो यूं हीं है तूने कहा हो गई खास तूने ही तो बनाई थी क्या भूलूं क्या याद करूं????!? चित में तेरे था प्यार ही प्यार काबिल ए तारीफ रही हमेशा तेरी मधुर बोली और मधुर व्यवहार